स्टाफ रिपोर्टर, अगरतला, 8 दिसंबर।। मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव ने ‘पारदर्शी अगरतला, स्वस्थ अगरतला’ कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर बोलते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में पारदर्शी भारत का नारा देश के लोगों के सामने पेश किया, तो कई लोगों को यह मुद्दा समझ नहीं आया।
जिस दिन प्रधान मंत्री हाथ में झाड़ू लेकर दिल्ली में सड़कों पर उतरे, कई लोगों ने उनकी आलोचना की। उन्होंने कहा, क्या यह प्रधानमंत्री का काम है या यह उनका काम है कि वे कानून बनायें।
लेकिन आज हर कोई समझता है कि प्रधानमंत्री ने उस दिन क्यों किया था। आज पारदर्शिता की अवधारणा समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शारीरिक विकलांगता अलग-अलग शब्दों के साथ थी। लेकिन वे सभी शब्द हमें उनके साथ नहीं जोड़ते हैं। प्रधानमंत्री ने उन्हें दिव्यांगजन कहा। यानी उन्होंने इसकी तुलना तीसरी आंख से की। पहले इसे कुम्हार, मोची कहा जाता था। अब इसे कुम्हार, चमड़ा कलाकार कहा जाता है।
मानसिकता में यही अंतर है। ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने विधवा विवाह का परिचय दिया। राजा राममोहन राय ने सतीदह की प्रथा को समाप्त कर दिया। विद्यासागर, राममोहुन, दयानंद सरस्वती की तरह, नरेंद्र मोदी भी एक समाज सुधारक के रूप में एक नाम हैं। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उन्होंने तीन तलाक की प्रथा को समाप्त करके करोड़ों अल्पसंख्यक माताओं और बहनों को रिहा कर दिया है।
उन्होंने कहा कि जब घर में सभी ने खाना खाया था, तो मां ने बचे हुए बर्तन साफ किए और बर्तन धोए। मां में स्नेह की भावना है। और सफाईकर्मी पूरे समाज के व्यंजनों को साफ करके समाज को पारदर्शी रखते हैं। इस कायरतापूर्ण स्थिति से पता चला है कि समाज को डॉक्टरों और नर्सों के साथ-साथ सफाईकर्मियों की भी जरूरत है।
अगर आज सफाईकर्मी नहीं होते, तो कोरोनावायरस लाखों लोगों की जान ले लेता। कार्यक्रम के अंत में, मुख्यमंत्री ने अग्रिम पंक्ति के कोविद सेनानियों का स्वागत किया। उन्होंने आगे कहा कि पारदर्शी भारत मिशन ने जनजागरण का निर्माण किया है। कई गली में थूकते थे। अब तो बहुत कुछ बंद हो गया है। लोगों में जागरूकता की भावना विकसित हो रही है। यह काम जारी रखना होगा।